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A poem written my Me

   तुम बचपना भूलो

poem ⬇



"एक़ बालक़ हमने ऐसा देखा,
बडा़ हुआ़ |
पऱ ,
बचपना नही छूटा |

उनसे सीखो ! 
उनसे सीखो !
अपने उम्ऱ के लहजे से,
हमें अपनी बचपना छोड़नी चाहिए़ |

एक़ चीज़ हमने ,
ऐसा देखा |
आत्म़-ज्ञाऩ के अभाव़ में ,
हऱ चीज़ झूठा |

हमेशा बने रहो तुम़ ,
शांत़ |
दिखो मूर्ख़ पऱ ,
रहो बुध्दिमाऩ |

एक़ चीज़ तुम्हे ,
याद़ रहे |
बचपना है ,
एक़ भूल़ |

मस्त़ रहो ,
स्वस्थ़ रहो |
समझदाऱ बनो ,
होशियाऱ बनो | "

   your Mr.Rupesh
Thanks of all ...

Self Written Poem

 मुसाफिर

जा मुसाफिर ,
तू चलता रह |
भरोसा रख तू ,
स्वय पर ||
तेरे दिन बहुत सुंदर ,
जो ठहरा है उनसे |
तू चलता रह ,
तू चलता रह ||
तू अपने आप मे ,
उम्मीद कायम रख |
तू कायम रख ,
अपनी हौसला ||
तू उम्मीद कायम रख इस बात पर ,
यह विश्व सुंदर |
तू याद कर ,
अपने बचपन को ||
अंत मे तू सबका ,
शुक्र अदा कर |
ये विश्व सुंदर ,
ये सारा जहान सुंदर ||
तू चलता रह ,
तू चलता रह ||


    Thanks

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